"कुछ न होने जैसे इस होने पर तरंगित होना चाहता हूँ" "कुछ न होने जैसे इस होने पर तरंगित होना चाहता हूँ"
न होने दो खंडहर न होने दो खंडहर
मेरा भारत महान , इसी जुमले से है इसकी पहचान , मेरा भारत महान , इसी जुमले से है इसकी पहचान ,
जो मैं एक लड़का होती ना बँधती रस्मों की बेड़ियों में, ना घर के इज़्ज़त की ज़िम्मेदा जो मैं एक लड़का होती ना बँधती रस्मों की बेड़ियों में, ना घर के इज़्ज़त की ...
बेइंतेहा मोहब्बत करने की गुस्ताखी की है हमने, तुझे खुद से भी ज्यादा चाहने की कोशिश की बेइंतेहा मोहब्बत करने की गुस्ताखी की है हमने, तुझे खुद से भी ज्यादा चाहने की ...
भूल बैठे हैं वो अंधकार में ही ज़्यादा होती है उम्मीद सुबह के होने की। भूल बैठे हैं वो अंधकार में ही ज़्यादा होती है उम्मीद सुबह के होने की।